गुना: आज देश के प्रमुख राजनेता और ग्वालियर राजघराने के सम्मानित सदस्य स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जयंती है। इस अवसर पर उनके द्वारा अपने कार्यकाल में शुरू की गई कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को याद किया जा रहा है, जिनमें से एक है गुना से आरोन और सिरोंज की प्रस्तावित रेल लाइन प्रोजेक्ट। यह परियोजना, जिसका सपना माधवराव सिंधिया ने क्षेत्र के विकास और कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए देखा था, आज भी अधूरी पड़ी है और लंबे समय से ठंडे बस्ते में डाल दी गई है।
माधवराव सिंधिया, जो अपने समय में रेल मंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे, ने गुना से आरोन और सिरोंज को रेल नेटवर्क से जोड़ने की योजना बनाई थी। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य मध्य प्रदेश के इस हिस्से में आर्थिक विकास को गति देना, स्थानीय लोगों को बेहतर परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराना और व्यापार-उद्योग को बढ़ावा देना था। उनके कार्यकाल में इस रेल लाइन के लिए सर्वेक्षण भी शुरू किया गया था, जिससे क्षेत्रवासियों में उम्मीद जगी थी कि जल्द ही यह सपना साकार होगा। हालांकि, समय के साथ यह परियोजना धीमी पड़ गई और आज तक इस पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
वर्तमान में केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यरत ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो माधवराव सिंधिया के पुत्र हैं, के सामने यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा में लाने का सुनहरा अवसर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह रेल लाइन न केवल उनके पिता की विरासत को पूरा करने का माध्यम होगी, बल्कि क्षेत्र के विकास में भी मील का पत्थर साबित हो सकती है। गुना और आसपास के क्षेत्रों में आज भी रेल कनेक्टिविटी की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जिसके चलते रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बाधाएं आती हैं।
माधवराव सिंधिया की जयंती के मौके पर स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार से इस परियोजना को पुनर्जनन देने की मांग की है। एक स्थानीय निवासी रमेश यादव ने कहा, "माधवराव जी ने हमारे लिए बहुत कुछ किया, लेकिन यह रेल लाइन उनका अधूरा सपना है। अब जब ज्योतिरादित्य जी केंद्र में मंत्री हैं, तो हम उम्मीद करते हैं कि वे अपने पिता के इस सपने को पूरा करेंगे।"
विशेषज्ञों का मानना है कि इस रेल लाइन के शुरू होने से न केवल गुना, आरोन और सिरोंज के बीच आवागमन आसान होगा, बल्कि यह मध्य प्रदेश के इस हिस्से को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से बेहतर तरीके से जोड़कर आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा। हालांकि, परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए बजट आवंटन, सर्वेक्षण की समीक्षा और तकनीकी व्यवहार्यता जैसे मुद्दों पर सरकार को ध्यान देना होगा।
माधवराव सिंधिया की जयंती के इस अवसर पर यह सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार उनके इस अधूरे सपने को पूरा करने की दिशा में कदम उठाएगी? ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो वर्तमान में नागर विमानन और इस्पात मंत्रालय संभाल रहे हैं, के पास अपने पिता की इस विरासत को आगे बढ़ाने का मौका है। जनता की निगाहें अब सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं, और उम्मीद है कि यह रेल लाइन प्रोजेक्ट जल्द ही ठंडे बस्ते से निकलकर हकीकत का रूप लेगा।
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