आरोन:- नगर परिषद आरोन की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। वार्ड नंबर 1 के नागरिकों का कहना है कि उनकी मूलभूत समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसके चलते उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पांच साल पहले नल कनेक्शन के लिए रसीद काटी गई थी, लेकिन आज तक पानी का कनेक्शन नहीं मिला। कई बार शिकायत करने के बावजूद न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई और न ही उनकी सुनवाई। हालात यह हैं कि हेल्पलाइन नंबर 181 पर शिकायत दर्ज करने के बाद भी कर्मचारियों ने फरियादी का मोबाइल लेकर जबरन शिकायत बंद करवा दी। अब निराश नागरिकों ने जिला कलेक्टर की जनसुनवाई में अपनी गुहार लगाने का फैसला किया है।
इसी वार्ड में नालियों की सफाई को लेकर भी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। एक युवा ने नालियों की गंदगी को लेकर 181 पर शिकायत दर्ज की और सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, "जब तक नालियां साफ नहीं होतीं, मैं अपनी शिकायत वापस नहीं लूंगा।" गंदगी और जलभराव के कारण इलाके में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। नागरिकों का कहना है कि नगर परिषद की उदासीनता उनकी सेहत और सुविधाओं पर भारी पड़ रही है।
वार्ड नंबर 1 के निवासियों ने नगर परिषद के प्रति गहरी नाराजगी व्यक्त की है। उनका आरोप है कि उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। एक निवासी ने कहा, "हम टैक्स देते हैं, लेकिन बदले में हमें सिर्फ लापरवाही मिलती है।" इस मामले में नगर परिषद के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उनकी चुप्पी ने नागरिकों के गुस्से को और भड़का दिया है।
ये घटनाएं आरोन नगर परिषद की कार्यप्रणाली में गंभीर खामियों को उजागर करती हैं। नागरिकों का कहना है कि अगर जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे। यह खबर न केवल नगर परिषद की नाकामी को सामने लाती है, बल्कि प्रशासन को यह चेतावनी भी देती है कि अब नागरिकों का सब्र जवाब दे रहा है।
आदिवासी बहुल वार्ड में लापरवाही: स्वच्छता और सुविधाओं का अभाव अस्वीकार्य
आरोन नगर परिषद के वार्ड नंबर 1 में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां मूलभूत सुविधाओं की कमी और स्वच्छता का अभाव न केवल नागरिकों के जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि सामाजिक न्याय के सवाल भी खड़े कर रहा है। यह धारणा कि आदिवासी समुदाय स्वच्छता के अभाव में रहने को मजबूर है या उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं चाहिए, न सिर्फ गलत है, बल्कि अन्यायपूर्ण भी है। हर नागरिक, चाहे वह किसी भी समुदाय से हो, स्वच्छ पानी, साफ-सफाई और सम्मानजनक जीवन का हकदार है।
वार्ड नंबर 1 में नल कनेक्शन के लिए पांच साल से इंतजार और नालियों की गंदगी की समस्या इस बात का प्रमाण है कि नगर परिषद की लापरवाही ने इस समुदाय को हाशिए पर धकेल दिया है। गंदे नाले और पानी की कमी से बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि आदिवासी समुदाय की गरिमा पर भी सवाल उठाती है। क्या यह उचित है कि एक समुदाय सिर्फ इसलिए उपेक्षित रहे, क्योंकि वह सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर है?
आदिवासी समुदाय का स्वच्छता और सुविधाओं से वंचित रहना कोई स्वाभाविक स्थिति नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक विफलता का परिणाम है। नगर परिषद को चाहिए कि वह इस क्षेत्र को प्राथमिकता दे और तत्काल कदम उठाए। नल कनेक्शन की आपूर्ति, नालियों की नियमित सफाई और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, आदिवासी नागरिकों को उनकी शिकायतों के निवारण में भागीदार बनाया जाए, ताकि उनकी आवाज सुनी जाए। यह समय है कि प्रशासन यह समझे कि सुविधाओं का अभाव किसी समुदाय की नियति नहीं, बल्कि उनकी जिम्मेदारी है जिसे पूरा करना होगा। आदिवासी बहुल वार्ड में यह लापरवाही अब और बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए।
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समस्याओं का समाधान: एक रास्ता सुझाव
आरोन नगर परिषद की लापरवाही से उत्पन्न समस्याएं नई नहीं हैं। देश के कई छोटे शहरों और कस्बों में ऐसी शिकायतें आम हैं, लेकिन इनका समाधान संभव है, बशर्ते सही दिशा में कदम उठाए जाएं। वार्ड नंबर 1 की दो प्रमुख समस्याएं—नल कनेक्शन और नालियों की सफाई—के समाधान के लिए निम्नलिखित उपाय प्रभावी हो सकते हैं:
1. पारदर्शी शिकायत निवारण तंत्र
नागरिकों की शिकायतों को अनसुना करने की बजाय एक पारदर्शी और जवाबदेह शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए। हेल्पलाइन नंबर 181 पर दर्ज शिकायतों को ऑनलाइन पोर्टल से जोड़ा जाए, जहां फरियादी अपनी शिकायत की स्थिति ट्रैक कर सकें। कर्मचारियों द्वारा शिकायत बंद करने की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
2. नल कनेक्शन के लिए समयबद्ध योजना
जिन नागरिकों ने पांच साल पहले नल कनेक्शन के लिए भुगतान किया, उनकी सूची तैयार की जाए और एक निश्चित समयसीमा (जैसे 3 महीने) के भीतर कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएं। इसके लिए बजट आवंटन और कार्ययोजना को सार्वजनिक किया जाए, ताकि नागरिकों का भरोसा बहाल हो।
3. नालियों की नियमित सफाई और निगरानी
नालियों की सफाई के लिए एक स्थायी टीम गठित की जाए, जो हर वार्ड में नियमित अंतराल पर सफाई करे। इसके साथ ही, नागरिकों को शामिल करते हुए एक "स्वच्छता निगरानी समिति" बनाई जाए, जो सफाई कार्यों की निगरानी करे और लापरवाही की स्थिति में अधिकारियों को सूचित करे।
4. अधिकारियों की जवाबदेही तय करना
नगर परिषद के अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जवाबदेह बनाया जाए। हर महीने जनसुनवाई आयोजित की जाए, जिसमें नागरिक सीधे अपनी समस्याएं उठा सकें। लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों या अधिकारियों पर जुर्माना या निलंबन जैसी कार्रवाई हो।
5. जिला कलेक्टर की भूमिका
चूंकि नागरिक अब जिला कलेक्टर की जनसुनवाई में जाने की तैयारी कर रहे हैं, कलेक्टर को इस मामले में हस्तक्षेप कर नगर परिषद को निर्देश देना चाहिए। एक स्वतंत्र जांच कमेटी गठित की जा सकती है, जो लापरवाही के कारणों का पता लगाए और समाधान सुझाए।
6. जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी
नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग न केवल शिकायतों के लिए, बल्कि समाधान के सुझाव देने और सामुदायिक सहयोग जुटाने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, नालियों की सफाई के लिए स्वयंसेवी अभियान शुरू किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
आरोन नगर परिषद की लापरवाही निश्चित रूप से चिंताजनक है, लेकिन यह असाध्य नहीं है। अगर प्रशासन और नागरिक मिलकर काम करें, तो नल कनेक्शन और नालियों की सफाई जैसी बुनियादी समस्याओं का समाधान संभव है। जरूरत है इच्छाशक्ति, पारदर्शिता और जवाबदेही की। यह समय है कि नगर परिषद अपनी निष्क्रियता को त्यागे और नागरिकों के हित में ठोस कदम उठाए, ताकि वार्ड नंबर 1 के निवासियों को वह सम्मान और सुविधाएं मिलें, जिनके वे हकदार हैं।
मिथुन शर्मा ✍️